आओ जरा याद करें कुर्बान ीी
***जरा याद करें कुर्बानी***
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आओ जरा याद करें कुर्बानी
आजादी की दास्तान कुर्बानी
फिरंगियों के गुलाम कहलाए
सोना चाँदी धन धान्य लुटाए
नौजवानों की दब गई जवानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
जुल्म सित्म की टक्कर भारी
जैसे जवां दिलों पे चले आरी
आँखों में भर भर आता पानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
कतरा कतरा लहू का बहाया
नर नारी गुलामी ने तड़फाया
खूब लड़े मर्द और मरदानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
खेली खूनी रंग से की होली
भगत सिंह सरीखों की टोली
सूली चढ़े हजारों बलिदानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
दांतों तले चने थे चबवाये
जिसे देख अंग्रेज थे घबराये
तुले तराजू में थे बलिदानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
माँओं ने थे सपूत थे खोये
बहनों ने भाई भी गवाये
सुहागिन की मांग पड़ी लुटानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
सुखविन्द्र का रक्त खौल जाए
दासत्व के दिन याद जब आएं
सही बिल्कुल भी नहीं बेईमानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
आओ जरा याद करें कुर्बानी
आजादी की दास्तान पुरानी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)