आओ चलें नर्मदा तीरे
आओ चलें नर्मदा तीरे
हम सब घूमें धीरे-धीरे
मोक्षदायिनी पाप हरणी
मेकलसुता सुखकरणी
गांव शहर किनारे पावन सुंदर घाट
भक्त जोहते मकर संक्रांति की बाट
लगी भीड़ जैसी वहां बाजार हाट
दुकानों में मिलती मिठाई और चाट
भक्त करें नित नर्मदा परिक्रमा
करते छमा और मांगते हैं क्षमा
यही है ओम धर्म और कर्मकांड
मन की श्रद्धा और नहीं पाखंड
गंगा आतीं मिलने नर्मदा मैया से
पावनता बढ़े मिल नर्मदा मैया से
गंगा रेवा मिलन होता हर साल
इससे ही है देश प्रदेश खुशहाल
मैया पहुंची घर रत्नाकर
जल कलशा कर में लेकर
सागर नीरद को जल देकर
जल बरसाते सलिल पयोधर
ओम प्रकाश भारती ओम्