आओ, चलते हैं…
चलो
साथ साथ चलते हैं
माना,
अपनी-अपनी सीमाओं में
बंधे हैं हम
पर तब भी.
चलो, अपनी ख्वाहिशों को
एक रंग देते हैं हम
उम्मीद के पंखों पर हो कर सवार
एक परवाज़ भरते हैं हम.
इश्क़ के जुनून में यूं आगे
ही बढ़ते चले हम,
क्षीतिज से परे
मिल सके हम,
दे जाएं सृष्टि को एक
आकार नया…
आओ चलते हैं हम.
मेरी चाहत के समंदर में
उतर आना तुम
चाँद की तरह मेरे सीने पर,
और मैं
तुम्हारे गुलाबी श्वेत माथे पर
पवित्र चुम्बन से
तुम्हारी मांग
भर दूं, और सिमटकर तुम..
समा जाना मुझ में
जैसे ख्वाब मिल रहे हों
हक़ीक़त से…
आओ चलें, चलते हैं हम.
एक नयी दुनियाँ रचते है हम
आओ चलते हैं हम.
हिमांशु Kulshreshtha