आओ गोपाल
आओ गोपाल
हो रही है भूमि विकल , अब आओ गोपाल ।
पाप धरा से मिटे कब , जनता करे सवाल ।
जनता करे सवाल ,जीवन जन जन का खार ,
सुर मुरली के सुना , सकून का दे उपहार ।।
गोपि तेरी भटके , प्रीति की दिखा दे राह,
चैन लूटता कूर , मुख से निकले बस आह ।।
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