“” *आओ करें कृष्ण चेतना का विकास* “”
“” आओ करें कृष्ण चेतना का विकास “”
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( 1 )” आओ ”
करें कृष्ण
चेतना का विकास,
जानते चलें श्रीहरि को !
तत्त्व ज्ञान को समझें पहचाने …..,
और जानें जन्म मृत्यु के भेद को !!
( 2 )” करें ”
नित्य सत्कर्म
भावपूर्ण श्रद्धा संग,
चलें करते प्रभु को कर्मफल अर्पण !
श्रीचरणों में करते रहें सदा स्तुति ….,
और निःस्वार्थ भाव से करें स्वयं का समर्पण !!
( 3 )” कृष्ण ”
जय श्रीराधा
ज्ञान धारा बहे ,
चले अज़स्त्र अनवरत सदा !
आओ, चलें इसमें उतरते गहरे ….,
और निकलें तमसावृत से बाहर यहाँ !!
( 4 )” चेतना ”
जड़ता समझें
निकलें इससे बाहर ,
और बन प्रकृतिस्थ जीवन जीएं !
बसता ईश्वर कण-कण में यहाँ पे ….,
ये दिव्य प्रकृति जान,भवसागर से निकल पाएं !!
( 5 )” का “, काया
देह अभिमान
मोह-माया से उभरें ,
और इससे ऊपर उठके सोचें !
अपने निज स्वरूप की करलें पहचान ….,
और श्रीहरिभक्ति सेवा में समर्पित करते चलें !!
( 6 )” विकास ”
है स्वयंका
स्वयं को पहचानना ,
समझना तत्त्व ज्ञान का भेद !
आओ,करते चलें नित्य स्वयं से मुलाक़ात ..,
और बन श्रीकृष्णप्रेमी, जानें वाङ्मय गीता वेद !!
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सुनीलानंद
शुक्रवार,
17 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |