आओ आओ सखी
आओ आओ सखी घर आंगन सजाओ सखी
राम लला आज विराजे हैं
आओ आओ सखी धूप दीप जलाओ सखी
राम लला आज विराजे हैं
आओ आओ सखी घर आंगन सजाओ सखी
स्वागत में कोई कमी ना छूटे
पूजन की कोई विधि न छूटे
बरसों बाद आज मिला है मौका
बरसों बाद आज मिला है मौका
गलती क्यों ना अपनी सुधारें सखी
आओ आओ सखी घर आंगन सजाओ सखी
राम लला आज विराजे हैं
वर्षों तक प्रभु भटके हैं देखो
कष्टों को भी तो झेलें हैं देखो
आई है आज जब बेला यह खुशी की
आई है आज जब बेला यह खुशी की
आनंद में क्यों ना डूब जाएं सखी
आओ आओ सखी घर आंगन सजाओ सखी
राम लला आज विराजे हैं
आओ आओ सखी…
इति।
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश