आओं जिंदगी साथ बैठें
आओं जिंदगी साथ बैठें, कुछ गुफ्तगू करें,
कुछ तु शिक़ायत कर, कुछ हम गिले शिकवे करें ।
तू अपना दिया एहसान बता, मैं जो गम मिला बताऊं,
कुछ तू मुझसे रूठ जा, कुछ मैं तुझे मनाऊं।
मेरी अधूरी ख्वाहिशों में से , तू कुछ को तो पूरा कर दें,
मेरी मंजिल का पता ना सही, बस एक सही दिशा तो बता दें।
तेरे कुछ अनसुलझे रहस्यों से, आज हम वाकफियत करें।
आओं जिंदगी साथ बैठें, कुछ गुफ्तगू करें,
कुछ तु शिक़ायत कर, कुछ हम गिले शिकवे करें ।
– कृष्ण सिंह