*आए यों जग में कई, राजा अति-विद्वान (कुंडलिया)*
आए यों जग में कई, राजा अति-विद्वान (कुंडलिया)
_________________________
आए यों जग में कई, राजा अति-विद्वान
जन-जन को कब कर सका, कोई समतावान
कोई समतावान, जन्मगत् भेद नकारे
अग्रवाल सब एक, अठारह गोत्र पुकारे
कहते रवि कविराय, मांस-आहार मिटाए
अग्रसेन तुम धन्य, रोकने पशुबलि आए
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451