आए निज घर श्री राम
आए निज घर रघुवर राजा।
करने को सब सुंदर काजा।।
राम राज फिर से आएगा।
द्वेष दर्प जग मिट जायेगा।।
धर्म सनातन फिर छाएगा।
उचित पंथ मानव पाएगा।।
लोभ अर्थ का घट जाएगा।
भ्रात प्रेम सबको भाएगा।।
नीति कर्म होंगे सब जगहित।
मानवता होगी फिर पुष्पित।।
वचन कर्म की होगी संगति।
निश्छल होगी मानव की मति।।
युवा राम को मानेगा।
लक्ष्य कर्म भी निज जानेगा।।
सुख वैभव जग में बरसेगा।
पुष्प शांति का जग महकेगा।।
राम कृपा जग ऐसी करिए।
सत गुण से मानव निधि भरिए।।
विनय ओम की प्रभुवर सुनिए।
सत्य कर्म के पथ सब गुनिए।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम