आए तो थे प्रकृति की गोद में ,
आए तो थे प्रकृति की गोद में ,
आनंद और सुख की चाह में ।
मगर मन बहुत दुखी और निराश हुआ ,
क्योंकि कुछ कांटे आन पड़े हमराह में।
आए तो थे प्रकृति की गोद में ,
आनंद और सुख की चाह में ।
मगर मन बहुत दुखी और निराश हुआ ,
क्योंकि कुछ कांटे आन पड़े हमराह में।