आऊंगा एक दिन,
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
लहराते तेरे बदन पर ये तेरा पल्लू उड़ाऊंगा एक दिन,
सरसरा उठेगा जब तेरा जिस्म इस अनजानी छुअन से,
छूकर तेरी साँसों को उन से उलझ जाऊंगा एक दिन !!
***
डी के निवातिया
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
लहराते तेरे बदन पर ये तेरा पल्लू उड़ाऊंगा एक दिन,
सरसरा उठेगा जब तेरा जिस्म इस अनजानी छुअन से,
छूकर तेरी साँसों को उन से उलझ जाऊंगा एक दिन !!
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डी के निवातिया