आई है शरद ऋतु
आई है शरद ऋतु”
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आई है शरद ऋतु छाई सिहरन है।
प्रकृति में दिखते छबि कणकण है।
फूल-कली तरुवर दिखते मगन है।
हरीभरी तृण में मोती कणकण है।
बाग में बागीचों में रौनकता आई है।
चहुँ दिसि सुरभित सुषमा समाई है।
डाली-डाली विहंग वृंद चहचहाई है।
तरु में तड़ाग में तटिनी उड़ आई है।
भोर सुरम्य दिखे छबि मनोहारी है।
ओस की बूंदें झलके बड़ी प्यारी है।
फाहों की उड़ती दिखे धरा सारी है।
हिम की धवल धरा दिखते न्यारी है।
जल में सरोवर में फुले दल कमल है
करते भ्रमण अलि तितली निश्चल हैं
लगे मनमोहक अतिशय छबि दल है
करते मकरंद मधु पान में ये मचल है
रचनाकार-
अशोक पटेल”आशु”
तुस्मा(शिवरीनारायण)
छत्तीसगढ़9827874578