आई हैं शेरा वाली मां नतमस्तक होकर ध्यान करें।
जिनके तेजों के सम्मुख ,सूरज भी शीश झुकाता है।
जिनके सांसों से यह वायु भी जन्म सदा से पाता है।
हां उस मां के शुभ कृत्यों का आओ आओ बाखान करें।
आई हैं शेरा वाली मां नतमस्तक होकर ध्यान करें।
पग पग पर है दुष्ट खड़ा पापी दल को खा जाएंगी।
कलयुग के दानव दल को मां अबकी धूल चटाएंगी ।
देखो देखो कैसे कैसे पुण्य आत्मा लज्जित है।
दुष्ट निशाचर मानव बनकर कपट भाव से सज्जित है।
क्या हल हो पाएगा इसका आओ कुछ उनवान करें।
आई हैं शेरा वाली मां नतमस्तक होकर ध्यान करें।
हां उस मां के शुभ कृत्यों का आओ आओ बाखान करें।
जिसकी उसने रूप धरि वो गुड़िया रोती दिखती है।
मानव दल में शामिल दानव का कृत्य दिलों में चुभती है।
उसने जो संहार किया मधुकैटभ शुंभ निशुंभों का
रक्तबीज का रक्त पान कर माल धार ली मुण्डों का।
चंड मुंड को ग्रास बनाने वाली का यशगान करें।
आई हैं शेरा वाली मां नतमस्तक होकर ध्यान करें।
हां उस मां के शुभ कृत्यों का आओ आओ बाखान करें।
©®दीपक झा “रुद्रा”?