आई सावन की बहार,खुल कर मिला करो
आई बाहर सावन की,खुल कर मिला करो।
मौसम हुआ सुहावना,दिल से मिला करो।।
करती हूं तुम्हारा इंतजार,मेरे करीब आओ।
झिझको नही किसी से,बेखौफ मिला करो।।
मेरा मकान बना है,बस तुम्हारे ही लिए ।
बिना हिचक तुम,दरवाज़ा खोल लिया करो।।
मै तुम्हारे लिए बनी,तुम मेरे लिए बने हो।
दुल्हन बनी तुम्हारी,दिलवर मिला करो।।
मैखाना जाना छोड़ दो,घर पर पिया करो।
नज़रों से पिलाऊंगी,शान से पिया करो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम