आई श्रावणी – राखी
एक छोटा सा हाईकु का प्रयास…
आई श्रावणी
पूनम की चाँदनी
नेह से भरी |
आता हुलसाता
हृदय बहन का
राखी में बंधा |
इन्द्राणी ने थी
सतयुग में बाँधी
पति को राखी |
बलि को बाँधी
विष्णु की रक्षा हित
लक्ष्मी ने राखी |
कर्मवती ने
बाँधी हुमायूँ को थी
रक्षा की राखी |
राखी की वेला
बहना लाई राखी
बाँधी कलाई |
मैंने भी भैया
मनके भावों से ही
बनाई है राखी |
रेशमी डोर
बंधा मेरा हृदय
नेह से भरा |
लाई हूँ भाई
अक्षत रोली मिठाई
राखी में बंधी |
फले फूले यों
प्यार हमारा भैया
सदा सदा ही |