आई.वी.एफ.
अख़बार मे न्यूज़ थी कि सड़क के किनारे एक युवक की लाश मिली और पोस्टमार्टम में आया था कि वह नशे में धुत था, जिसकी वजह से एक्सीडेंट में मौत हो गई। उम्र में लगभग 55 साल के मां बाप का रो-रो कर बुरा हाल था, होना लाजमी भी था, क्योंकि इकलौता बेटा उन्होंने खोया था। घर में मातम-सन्नाटा था। ये मेरी कॉलोनी की ही घटना थी। जब भी कभी उन दोनों को देखता, बुरा लगता था कि बेचारों के साथ अच्छा नहीं हुआ।
एक दिन मैं अपनी वाइफ को रेगुलर प्रेगनेंसी चेकअप के लिए डॉक्टर के गया हुआ था, भीड़ थी। और 24 नंबर वेटिंग में मिला। हम दोनों ने यह डिसाइड किया कि हम बाहर जाकर टाइम पास करते हैं और काउंटर पर से ही बाहर टहलने चले गए। लगभग आधे घंटे बाद हमने सोचा अब थोड़ी देर में नंबर आ जाएगा, तो क्यों न क्लिनिक में ही बैठ के इंतजार किया जाए और इंतजार करने लगे। हम से पहले एक बुजुर्ग दंपत्ति थी, वे भी डॉक्टर के पास कुछ कंसल्ट करने आए थे। हम उनके पास वाली कुर्सी पे बैठे थे। मैने उस दंपती को गौर से देखा तो याद आया कि ये तो वही दंपती है जिनका 28 साल का बेटा, आज से दो साल पहले सड़क दुर्घटना में मर गया था। मैं उनसे बात करता, उस से पहले ही उनका डॉक्टर को दिखाने का नंबर आ गया था, तो वो लोग उठकर अंदर चले गए। 10 मिनट बाद, उनके जाने के बाद वाइफ का नाम पुकारा गया और हम दिखाने रूम में चले गए। वाइफ को दिखाने के दौरान, मैने डॉक्टर से पूछा- मैम, हमसे पहले दंपती किसलिए आए थे? डॉक्टर ने बताया कि- वो आई.वी.एफ. ट्रिटमेंट से प्लानिंग किए हैं और उनकी वाइफ का नौवां महीना चल रहा है। मुझे ये सुनके बहुत अच्छा लगा। और चेकअप के बाद घर लौट आए।
एक दिन ऑफिस पहुंचने के बाद वाइफ का फोन आया कि कल जो फाइल मैं घर लाया था, वो तो भूल ही गया। मैंने कहा- शीट यार। अच्छा, मैं किसी को भेजता हूं, उसे दे देना। मैं फोन रखने वाला ही था कि वाइफ बोली सुनो, मम्मीजी अभी मंदिर से आई थी, बता रही थी कि कॉलोनी में जुड़वा बच्चे हुए है। और आपको पता है क्या। ये उन अंकल-आंटी के हुए हैं, जो पिछले महीने हमको डॉक्टर के यहां मिले थे।
ये सुनते ही मुझे अंदर ही अंदर बहुत खुशी हुई। कुर्सी पर बैठा-बैठा सोच रहा था- एक बुरा वक्त था, जब इनका इकलौता बेटा मर गया। और एक अच्छा वक्त ये है कि भगवान ने इनको दो जुड़वा बेटे दिए हैं।