आई रे बरखा बहार
आई रे बरखा बहार
झरर झरर झर,
जल बरसावे मेघ |
टप टप बूँद गिरें ,
भीजै रे अंगनवा ; हो ….
आई रे बरखा बहार … हो …||
धड़क धड़क धड ,
धड़के जियरवा ..हो
आये न सजना हमार ….हो
आई रे बरखा बहार ||
कैसे सखि ! झूला सोहै,
कजरी के बोल भावें |
अंखियन नींद नहिं,
जियरा न चैन आवै |
कैसे सोहें सोलह श्रृंगार ..हो
आये न सजना हमार ||…आई रे बरखा …
आये परदेशी घन,
धरती मगन मन |
हरियावै तन , पाय-
पिय का संदेसवा |
गूंजै नभ मेघ मल्हार ..हो
आये न सजना हमार |…आई रे बरखा …
घन जब जाओ तुम,
जल भरने को पुन: |
गरजि गरजि दीजो ,
पिय को संदेसवा |
कैसे जिए धनि ये तोहार …हो
आये न सजना हमार…हो |…..आई रे बरखा …||