आईना
आईना
******
आईने में खुद को देखा
खुद से खुद ही जा मिला
बारीकियां अपनी नज़र आईं मुझे
प्रेम की गगरी छलकती ही रही।
आँखों से किसी के प्रेम ने बंशी बजाई
दिल तो बस इंसान का था,चल चला।
डूबकर सौ सौ गोते भी लगाकर प्रेम में
प्रेम में बस प्रेम के आगोश में
प्रेम चखकर,प्रेम पीकर
प्रेम में उन्मत्त होकर
मैं खड़ा था
प्रेम ने मुझको दिखाया आईने में
प्रेम ने मुझको सजाया आईने में
खुद को मैं खुद से मिलाया आईने में
आईना भी झूमकर यूँ गीत गाया आईने में।
-अनिल कुमार मिश्र