आईना
आईना न झूठ न
सच बोलता है ।
वो दिखाता है जो
सामने डोलता है ।।
परिंदा ऊँचाई का
अंदाज लगा लेता है ।
उसके बाद उड़ने को
पर खोलता है ।।
खिलती कलियों को
झूमता देखकर ।
भँवरा कानों में
मीठा रस घोलता है ।।
वक़्त तराजू पर
बराबर रखकर ।
हमेशा कर्म और
फल को तौलता है ।।
श्रम बिंदुओं से मिटाकर
भाग्य लेख ।
वीर कु-अंको को
माटी में रोलता है ।।
शब्दों के जादूगर की
बात ही अलग है ।
बोलने से पहले हर
शब्द मोलता है ।।