आईना
आईना
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आईना पूछता है,
हो क्यूँ आज नजरें झुकाये!
हो नाराज खुद से या,
दिल किसी और का तोड़ आए !
चुप रहोगे भी तो कह देंगी ,
राजे दिल तुम्हारी आंखें !
धड़कनों से भी कह दो ,
यूँ तेज हो के ना शोर मचाये !
है हमसे ये पर्दा किस बात का ,
मैं हूँ आईना तुम्हारा
तेरा ही अक्स मुझमे नजर आये !!
पल्लवी रानी❤
मौलिक स्वरचित
कल्याण (महाराष्ट्र)