*** आईना हक़ीक़त नहीं होता ****
आईना हकीकत नही होता
आईने पर धूल जमी हो तो
आईने में भी सूरत साफ
नजर नहीं आती
हम इस बहम में रहते है कि
हम अकेले नही है
कहने को तो सदैव परछाई
हमारे साथ चलती है मगर
अंधेरों में वह भी हमारा
साथ छोड़ देती है
हमें यह धोखा और मलाल
ही रहता है कि काश हम
यह पहले ही जान लेते कि
आईना हकीकत नही होता और
परछाई कभी किसी का साथ नहीं देती ।
कहने को तो औरत आदमी की परछाई
होती है मगर एक दिन ऐनवक्त वह भी
उसका हाथ ही नहीं छोड़ती वरन साथ
भी छोड़ देती है ।।
?मधुप बैरागी