आईं न तनि बैठीं
आईं न तनि बैठीं ,
कुछ बात कइल जा।
छोड़ि दंभ,क्लेश,द्वेष,
मुलाकात कइल जा।
आईं न तनि ………
उ समय रहल,
हम के छाया में।
हम भटक गइलीं,
मोह माया में।
परत अखियाँ पर के,
अब दूर कइल जा।
आईं न तनि……..
इंसा भागल बा अंदर से,
खोखर भइल बा काया।
मानव के देखि न पवलीं,
हरदम तन दानव पाया।
बन के निरामिष अब,
मूक जीव के मन समझल जा।
आईं न तनि…………….
चमड़ी उज्जर गोरहर गाल,
अन्तर कोठर करिया।
छीनि छान हक दूसरे के,
पेट भइल बा हड़िया।
अब रोग व्याधि घेरले जाता,
चलीं न कवनो उपाय कइल जा।
आईं न तनि………………..
भाव के हम भाव न समझलीं,
प्यार समझलीं खेल।
भव सागर में डूबत नैया,
अब लागत बानी जेल।
चलीं न एक प्रेम नैया,
अउर पतवार धइल जा।
आईं न तनि………….
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
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