आइल दिन जाड़ा के
आइल दिन जाड़ा के
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आइल दिन जाड़ा के आइल दिन जाड़ा के
देहिया रहेला कठुआइल आइल दिन जाड़ा के
ठंडी परअ ताटे क के तइयारी
भगिया के मारल का करे दुखियारी
जाड़ का रोकी फाटल लुगरी
लइका बेमार ना साल बा ना गुदरी
डाक्टर कहेला कि भइल निमोनिया
माई के जिया घबराइल- आइल दिन जाड़ा के
आइल दिन… आइल दिन… देहिया… आइल…
बूढ़-पुरनिया के रोग बढ़ल बा
जबसे अगहन मास चढ़ल बा
कुहा सितलहरी परे येतना भारी
रुकल जहाज रुकल रेलगाड़ी
येइमें किसनवा पटवेला खेतवा
धरती के भागि फरिआइल- आइल दिन जाड़ा के
आइल दिन… आइल दिन… देहिया… आइल…
चिरई-चुरुङ्ग के हाड़ लागे काँपे
काँपेला ऊहो जे कउड़ा तापे
पेड़वो के मारे लागल अब पाला
मरि गइलें मँगरू भइल बाटे हाला
सीमावा प तबो डटल बा जवनवा
सुनि सुनि हिया हरसाइल- आइल दिन जाड़ा के
आइल दिन… आइल दिन… देहिया… आइल…
– आकाश महेशपुरी
दिनांक-17/11/2007