आइना
सब चेहरे बेचेहरे हो गये जब,
आईना समाज से रूठा और टूट गया।
पाशविक प्रवृत्ति चरमोत्कर्ष पर पहुँची,
इंसाँ का अपने अक्श से जब दामन छूट गया।।
सब चेहरे बेचेहरे हो गये जब,
आईना समाज से रूठा और टूट गया।
पाशविक प्रवृत्ति चरमोत्कर्ष पर पहुँची,
इंसाँ का अपने अक्श से जब दामन छूट गया।।