आइना हूं मैं
आइना हूं मैं
जिस दिन टूट जाऊंगा
दूर ही रहना मुझसे
नहीं तो तुझे चुभ जाऊंगा
अभी दिखाता हूं
वास्तविकता तुमको
फिर देखना तुमको
दिन में तारे दिखाऊंगा
जानता हूं सबकुछ
कुछ कहता नहीं हूं
कोई जिद्द करे तो
चुप भी रहता नहीं हूं
तू देखता है सबकुछ
खुद को देख नहीं पाता
आता है जब सामने मेरे
तू छुप भी नहीं पाता
दिखाता हूं कड़वी सच्चाई भी
जो हिम्मत हो देखने की
खोलकर रख देता हूं परतें सारी
जो चाहत हो जानने की
रखते है संभालकर मुझे
जब तक टूट न जाऊं मैं
तबतक है कीमत मेरी
जबतक तेरे काम आऊं मैं
जब रहता नहीं किसी काम का
आइने को भी आइना दिखाता है इंसान
है नहीं मेरी कोई ज़रूरत अब उसे
कहकर मुझे कूड़े में फेंक देता है इंसान।