आइना रखें या तस्वीर
आईना रखे या तस्वीर हम तेरी रख लें।
अंधेरी रात में यादों की रोशनी रख लें।
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वास्ते वस्ल के मुझको भी चंद लम्हे दें।
इसके बदले मेरी ये पूरी जिंदगी रख लें।
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तेरा तबस्सुम खिलता गुलाब हो जैसे।
सभी ग़म भूल कर हम तेरी हंसी रख लें।
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सारी दुनिया से छुपा कर तुझे रखा दिल में।
मेरी तस्वीर छुपा कर के आप भी रख लें।
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वक्त वह मांगता रहता है मुझसे शामो सहर।
“सगीर” अब उनसे कहो मेरी यह घड़ी रख लें।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी
खैरा बाजार बहराइच