आइना मेरे रू ब रू भी है।
आईना मेरे रू ब रू भी है।
खुद से मिलने की जुस्तजू भी है।
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हर घड़ी जिसकी है तलाश मुझे।
तेरी आवाज़ और तू भी है।।
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दर ब दर फिर रही है उम्मीदें।
वही बे सब्र दिल की खू भी है।
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वो तेरी हर अदा है होश रुबा।
तेरी खुशबू से खुफ्तगू भी है।
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मौत से कैसी ये मोहब्बत है।
और जीने की आरज़ू भी है।
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सगीर सीने में दिल धड़कता है।
और सन्नाटा चार सू भी है ।।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी
खैरा बाज़ार बहराइच यूपी