आंसू
आंसू जानती, अपनी हर बूंद की कीमत
जिसकी नियति गिर गिर कर बिखरने की हकीकत आंसू पहचानती छलकने का सबक
थककर मोम बनने का अदब ..आंसू महसूस करती जीवन का स्वाद अंतस कहता खार खार तेरे
लिए है हर स्वाद ..जहां की नजरों में अश्रु का नमकीन होना बेइंतहा मौज उमंग का तोहफा पर आंसू समझती इसे अपनी संस्कृति से दूर होना और पाती छिड़कियों दर्द के पुलिंदो का तोहफा ..
आंसू जीवन के कड़वे एहसासों के बाद भी इतराती अपने आप पर आंसू जीवन के चंद खुशियों के साथ भी छ ल छलाती हुई बहती हमारी आंखों पर ..
आंसू मानती उन दुर्लभ अश्रु क्णों को नक्षत्र के उस स्वर्णिम क्षणों को जब अंधेरों में गिरी सीपो पर मेरे आंसू मोती बन चम चमाएंगे सिंधूओं पर
पं अंजू पांडे “अश्रु”भाटापारा