आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए।
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए,
तो हंसी में सरसता नहीं आएगी,
भाव के बादलों से न पहचान हो,
तो नदी में तरलता नहीं आएगी।
ठोकरों से हैं भरपूर राहे यहां,
गूंजती रहती आहें कराहें यहां,
जीतने का जो मौका दिया दर्द को,
छोड़ती फिर नहीं इसकी बाहें यहां ,
मुक्त कारा से इसके अगर न हुए ,
तो सफर में सुगमता नहीं आएगी।
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए …………..।
साथ बारिश का हो धूप से दोस्ती,
हाल फागुन का लें शीत की चौकसी,
मन मलिन यदि करे रंग पतझार के,
तो बहारों के रंग आके भर दें खुशी,
खोल पाए नहीं तुम ह्रदय को अगर,
लेखनी में मुखरता नहीं आएगी।
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए ……………।
जिंदगी चाक है संतुलन चाहिए,
साधने को कुम्हारों सा मन चाहिए,
हाथ में हो कला साथ में धैर्य हो,
मिट्टी को गूथने का भी फन चाहिए,
मन में आकार की छवि नहीं हो अगर,
कुछ भी कर लो सुघड़ता नहीं आएगी।
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए……………।
Kumar kalhans.