आंधियां चल रही हैं जहर की
आंधियां चल रही हैं जहर की,
अब तो कातिल हवा हैं शहर की।
जब समंदर ही खारा हो पूरा,
गलतियां फिर नहीं हैं लहर की।
आंधियां चल रही हैं जहर की,
अब तो कातिल हवा हैं शहर की।
जब समंदर ही खारा हो पूरा,
गलतियां फिर नहीं हैं लहर की।