आंदोलन का पहला पाठ! आंदोलन कारी!
यह है उस दौर की बात,
जब मैं गया कक्षा आठ,
उम्र थी तब चौदह वर्ष,
चुना गया मैं अध्यक्ष,
हो रहा था मुझे अति हर्ष,
मिला मुझे था एक उत्कर्ष,
मुह बाए खड़ा था एक संघर्ष।
मैं हुआ सहपाठियों के सुख दुःख का अनुरागी,
मैं बन बैठा सबका सह भागी,
पठन पाठन के संग संग,
कृषि वानिकी के बन गये अभिन्न अंग,
पर खेल कूद से रह कर वंचित,
क्रिडा स्थल को किया संचित,
तब हुआ सभी का मन प्रफुल्लित
हुआ मैं भी तब खुब हर्षित।
विद्यालय भवन भी था अपर्याप्त,
छात्र-शिक्षकों को था इसका संताप,
प्रधानाचार्य को हो रहा था अहसास,
तब उन्होंने मंत्रणा की हम सब से खास,
सब मिलकर करें यदि प्रयास,
दिखाई दी अब हमको भी आस,
अभिभावकों ने भी किया अर्थ दान,
हरि सेठ जी का भी मिला योगदान,
समर्पित किया हमें निशुल्क मोटर वाहन, है
छात्रों ने मिलकर किया श्रमदान,
तब पा लिया हमने भवन मनभावन।
अब सहपाठियों की उम्मीदों ने भरी उड़ान,
पिकनिक टूर का किया विधान,
नव सृजित बांधों का करने अवलोकन,
विज्ञान पर हो रहे हैं जो सोधन,
करने चलते हैं हम विज्ञान का दर्शन,
चल पड़े प्रधानाचार्य से करने निवेदन,
किया अभिवादन और संबोधन,
लेकर आए हैं हम यह निवेदन ।
पहले पहल जब यह बात कही,
प्रधानाचार्य की निगाह मुझ पर लगी,
फिर लगाई उन्होंने हम सब पर टकटकी,
एक टक वह हमें निहारते रहे,
फिर अनायास वह यह कह गए,
तुम नेता इन सब के बन गये,
चलो निकलो यहां से कह कर,
किया इशारा,
होश फाख्ता हुआ हमारा।
मन मसोस कर हम लौट आए,
हम सब थे सकपकाए,
कुछ डरे हुए थे, कुछ घबराए,
मिल बैठकर चर्चा पर उतर आए,
ऐसा भी क्या हम अनुचित कह आए,
तभी गये हम फिर बुलाए,
अब हम फिर से चकराए।
कहने लगें घुमने जाओगे,
कहां जाकर पिकनिक मनाओगे,
कितना लगेगा बस का किराया,
किसने है तुम्हें भरमाया,
कहां तुम्हें वहां खाना मिलेगा,
कौन तुम्हारे आगे पीछे रहेगा ,
गर किसी को कुछ हुआ तो हर कोई मुझे कहेगा।
चलो बताओ कहां जाना चाहते हो,
क्या यह इंतजाम कर के आ सकते हो,
किराए के लिए कुछ पैसा जुटाना होगा,
खाना भी घर का बना हुआ लाना होगा,
बस को स्कूल पर ही बुलाएंगे,
यहीं से बैठकर जाएंगे,
और यहीं पर लौट कर भी आएंगे,
छोटे छोटे बच्चों का तुम्हें ख्याल रखना रखाना है,
छात्राओं को भी देर से आने पर घर तक पहुंचाना है,
बताओं क्या यह सब मंजूर करते हो,
इन सभी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकते हो,
हिम्मत से हमने भी हामी भर ली,
दे दी सहमति, हमने जंग जो जीत ली थी,
यह मेरे जीवन की पहली नेता गिरी थीं।
(यादों के झरोखे से)