आंतरिक विकाश कैसे लाए। – रविकेश झा
जब आप बाहरी चीजों को बदलने में सफल नहीं हो रहे हैं तब आप स्वयं का आंतरिक बदलाव कर सकते हैं। जब आपका आंतरिक विकाश होगा तब ही आप बाहर और भीतर के बीच ठहर सकते हैं,और जीवन को जीवंत कर सकते हैं। लेकिन ये सब के लिए हमारे पास समय नहीं है अगर समय है भी तो हमें भय लगता है जानने में क्योंकि मनुष्य का सबसे बड़ा धन वो स्वयं है शरीर है और वो उसे खोना नहीं चाहेगा।
बहुत व्यक्ति ऐसे भी हैं जो निरंतर अभ्यास से स्वयं से परिचित होते हैं और परमानंद को उपलब्ध होते हैं। जब हम ध्यान का रास्ता अपनाते हैं फिर हमारा शरीर मन भावना सब धीरे धीरे शांत होते जाता है। हमें एक अनोखा शक्ति मिलता है जिसके मदद से हम अपने आप में शांति महसूस करते हैं और जीवन में जागरूकता बढ़ने लगता है। लेकिन ये सब के लिए हमें जागना होगा और निरंतर प्रयास करना होगा तब ही हम अपने जीवन में आनंद ला सकते हैं। हमारे जीवन में बहुत ऐसा मौका मिलता है स्वयं को जानने का 24 घंटे में ऐसे कितने बार हमें स्वयं को जानने का मौका मिलता है लेकिन हम चूकते जाते हैं और फिर जीवन जटिल बनता जाता है।
लेकिन अंत में एक बात आता है मन में सवाल की कामना से कैसे मुक्ति मिलेगी क्योंकि हम कामना के लिए जीवन जीते हैं लेकिन हमें समय भी तो चाहिए जितना समय हमको मिलता है उस में से हम अधिक कामना में ही बिताते हैं अगर समय मिलता भी है तो हमारे ऊर्जा कम होते जाता है शाम होते होते । अगर आपको थोड़ा समय भी मिलता है तो हम व्यस्त होने लगते हैं। हम सोना चाहते हैं या टीवी मोबाइल फोन में व्यस्त होते हैं कामना में अपने आपको रखे रखते हैं। जब जीवन में समस्या हल नहीं होता फिर हम डरने लगते हैं पूजा प्राथना करते हैं लगता है जीवन बहुत कठिन है लेकिन हम सोच के और खराब कर देते हैं। अगर कुछ लाभ हो फिर आप प्रसन्न होते हो और ढिंढोरा पिटते है। लेकिन याद रखिए कि दुख सुख दोनों आप निर्माण करते हैं क्योंकि जब तक आप इनपुट नहीं देंगे आउटपुट कैसे आएगा।
चाभी आपको खोलना होगा। तभी आप अपने जीवन को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। और रूपांतरण करने में सक्षम होंगे। लेकिन ये सब के लिए पहले हमें अपना शरीर को देखना होगा, मन भावना को धीरे धीरे हम निरंतर प्रयास से सत्य से व शून्य से दर्शन कर सकते हैं। लेकिन याद रहे रास्ता होते हुए हमें जाना होगा लेकिन हम सीधा शिखर तक पहुंचना चाहते हैं। इसलिए हमारा सत्य से परिचित नहीं होना स्वाभाविक है और हम लड़ना आरंभ कर देते हैं। जीवन का रूपांतरण करना होगा। लेकिन आप पहले अपने आपको जानने का प्रयास करें। लेकिन हम चाहते हैं कि हम खुश रहे दुख हमें छुए भी नहीं क्योंकि हम दुःख को दुश्मन समझते हैं और खुशी को मित्र, दोनों आप ही निर्माण कर रहे आप के दिमाग में कमांड रहता आप उसे जैसे प्रयोग करें या सुख के साथ रहे या दुःख के साथ, लेकिन जब आप ध्यान करते हैं तब आप दोनों के बीच में आपका देखना है और बस ध्यान को मित्र बना कर आनंदित जीवन जीना है।
हम तीन है हमारे अंदर शिव भी है और शक्ति भी और भावना भी लेकिन हम सब अपने जीवन में खोए रहते हैं समय और ऊर्जा सार्थक उपयोग हम नहीं करते हैं। हमें तीनों को जानना होगा तब पूर्ण विश्वास के पात्र होंगे। क्योंकि हमें नींद बहुत आता है कामना का नींद उससे भागना नहीं है बस जागना है अगर आप भागोगे फिर आप जान नहीं पाओगे और निरंतर प्रयास से हम स्वयं को जान सकते हैं और परमानंद को उपलब्ध हो सकते है।
धन्यवाद।
रविकेश झा ।🙏।