आंख
आंखे
ईश्वर का दिया
मनुष्य को बहुमूल्य तोहफ़ा,
जो
करती हैं मार्मिक बातें
प्यार हो या अंतर्द्वंद।
वो भली-भांति
समझती हैं सब,
भूख हो
या
प्यास का एहसास,
दुख और सुख का आभास,
करे कोई नेक कार्य
या अत्याचार,
देखती हैं सब।
बिना कुछ कहे,
बिना कुछ सुने
क्या करें?
वो तो आंख है,
उसे केवल देखने का
अधिकार है,
बोलने से ज्यादा।