**** आंख बादल *****
2.12.17 ***** रात्रि ***** 10.35
रात की तन्हाइयों में मुझको गुनगुनाया कीजिये
तन्हा ना समझ स्वप्न- संग- मेरे सजाया कीजिये
हाथ कंगन होंगे इक दिन मेरे – नाम के हाथ तेरे
आंख-बादल बिन मौसम बरसाया ना कीजिये।।
?मधुप बैरागी
2.12.17 ***** रात्रि ***** 10.35
रात की तन्हाइयों में मुझको गुनगुनाया कीजिये
तन्हा ना समझ स्वप्न- संग- मेरे सजाया कीजिये
हाथ कंगन होंगे इक दिन मेरे – नाम के हाथ तेरे
आंख-बादल बिन मौसम बरसाया ना कीजिये।।
?मधुप बैरागी