आंख्या का तारा
ग़ज़ल (हरियाणवी )
चौगरदे तै घेरया था
करया बीर को बेरा था
सबतै न्यारा होया करै
स्हारा होया भतेरा था
साच्ची बात बताऊँ
भीड़ पडै मैं करेया था
दिन गुजरै सै चोक्खे इब
आरया सै जी भतेरा था
सीरत सुथरी घण्णी सै
आंख्या का तारा बसेरा था
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा