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3 Apr 2022 · 1 min read

आंखों में नमी को छुपा लेते है।

आंखों में नमी को छुपा लेते है।
दुनियां के सामने झूठा हंस लेते है।।1।।

क्या करे शिकवा गिला किसी से।
हम ख़ुद से ही यह सब कर लेते है।।2।।

हमने सोचा नूर मिल गया है मुझे।
आइना में चेहरा बेनूर देख लेते हैं।।3।।

मैं कहता नही बेरहम हैं वह बड़ा।
कभी कभी मुझपे रहम कर देते है।।4।।

यहीं सोचकर ये जिंदगी जी रहें है।
अक्सर मुझे वह महबूब कह देते है।।5।।

चांदनी क्या लड़ेगी अपने चांद से।
झूठमूठ का गुस्सा हम भी कर लेते है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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