आंखों पर लिखे अशआर
आज भी ढूंढती नज़र उसको ।
मेरी आंखों का ख़्वाब था जैसे ॥
आज भी पास हो मेरे दिल के ।
आज भी भीगती ये आँखे हैं ।।
ये भी ख्वाबो की एक ज़रूरत है ।
हम तेरा अक्स भर ले आँखों में ।।
मेरी हिस्से भी नींदे दे मुझको ।
अभी आखों के ख़्वाब बाक़ी ॥
बेशुमार दिल में तेरा प्यार रक्खा है ।
छुपा के आंखो में तेरा इंतज़ार रखा है।।
उसी को तरसती हैं नींदे हमारी ।
जो ख्वाब आंखों को भाता नहीं है।।
रिश्ता मेरा जिससे कभी टूटा ही नहीं है ।
तुम भी मेरी आंखों में आंसू की तरह हो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद