आंखों को सिखाएंगे
गजलों का हुनर अपनी आंखों को सिखाएंगे,
रोएंगे बहुत लेकिन आंसू नहीं आएंगे.
कह देना समुंदर से हम ओस के मोती है,
दरिया की तरह तुमसे मिलने नहीं आएंगे.
वे धूप की छप्पर हो या छाओं कि किनारे,
अब जो भी उठाएंगे मिल जुल के उठाएंगे.
जब साथ न दे कोई आवाज देना,
हम फूल सही लेकिन पत्थर भी उठाएंगे…