आंखों की लाली
तेरे ख्यालों में रात गुजार दी
मगर ज़माने में जाहिर नहीं किया
आंखों की लालिमा छुप ना सकी
वरना मैंने लबों से कुबूल नहीं किया
शिव प्रताप लोधी
तेरे ख्यालों में रात गुजार दी
मगर ज़माने में जाहिर नहीं किया
आंखों की लालिमा छुप ना सकी
वरना मैंने लबों से कुबूल नहीं किया
शिव प्रताप लोधी