आंखों की भाषा के आगे
आंखों की भाषा के आगे
शब्दों का है मोल कहाँ
अबोल में जो जज्बात बसा है
संवादों में वो अहसास कहाँ
स्नेह में है जो कशिश भरा
विरोध में है वो बात कहाँ
मान को पाकर हीं मैंने जाना
अभिमान में है वो बात कहाँ।
आंखों की भाषा के आगे
शब्दों का है मोल कहाँ
अबोल में जो जज्बात बसा है
संवादों में वो अहसास कहाँ
स्नेह में है जो कशिश भरा
विरोध में है वो बात कहाँ
मान को पाकर हीं मैंने जाना
अभिमान में है वो बात कहाँ।