आंखों का वास्ता।
वापस आजा परिंदे तुझे शाखों का वास्ता।
रास्ता देखती बूढ़ी मां की आंखों का वास्ता।।1।।
इज्जत जिल्लत देना खुदा की खुदाई पे है।
मां का दिल बेताब है तुझसे है उसका राब्ता।।2।।
किस किस से कब तक यूं ही लड़ोगे सबसे।
सभी की बनाती है,यह बेरहम दुनियां दास्तां।।3।।
बिखरना संवारना तो है जिंदगी का काम ही।
मिलके बना लेंगे हम फिरसे अपना आशियां।।4।।
तुझे खुदा ने बख्शा है हुनर दिल जीतने का।
फिर से बना लेगा तू अपने सफर का कारवां।।5।।
नजूमी आलिम कोई क्या बतलाएगा तुमको।
गैब की बातें खुदा के अलावा कोई ना जानता।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ