आंखों का एल्बम
कितनी ही बार
लोगों ने
हमें मिलते हुए
पाया है
हालांकि
हमारा मिलन
पाक-साफ था
फिर भी ज़माने को
रिश्ते पर ऐतराज़ था
कितनी ही बार
किताबों में
पकड़ी जा चुकी हैं
तुम्हारी तस्वीरें
अब नहीं,
कुछ वक्त पहले
यह एक राज था
इस पर भी सबको
ऐतराज़ था
फिर एक दिन
तुम भी चाहने लगे
पीछा छुड़ाना
यही तो चाहता था
सारा ज़माना
… और अब तक
मैने हार नहीं मानी है
सामना करने की ठानी है
मिलता हूं अब भी
मगर, खवाबों में
अक्स है तुम्हारा
चश्मे पुरनम में
माजी की तस्वीरें
अब कैद हैं
आंखों के एलबम में