आंखे शर्माई हुई
नजर से नजर की जब मिलाई हुई
शुरुआती प्यार की ये लडाई हुई
लगी ख्वाहिशे उडने हवा मे अब
दुनिया से रूह की जैसे रिहाई हुई
दो जिस्म ओर एक जान हो गये
लगी प्यारी वो आँखे शर्माई हुई
अदा उसकी मै क्या जीकर करू
है खुदा की फुर्सत मे बनाई हुई
खूबसूरती उसकी ऐसी मानो
नदी चाँदनी मे नहाई हुई
मुहब्बत सिखा वक्त रहा है मुझे
है कल्पना मेरी ये रचाई हुई