आँसू
किसी की आँख में आँसू….कभी यूँ ही नहीं आते।
लगी जब चोट दिल पर हो लबों से कह नहीं पाते ।
फसाने जो लिखे होतें हैं…. एहसासों के पन्नों पर-
सुनाये भी नहीं जाते………. छुपाये भी नहीं जाते।
किसी की आँख में आँसू कभी आये समझ जाना।
गमों के अंध पयोधी से….. उसे है पार अब पाना ।
कभी तो मुस्कुराहट का….बना था राज वो दिलबर-
उसी के प्यार का सागर बना अश्कों का अफसाना।
किसी की आँख में आँसू अगर आयें तो आयेंगे ।
नयन तो सीप हैं मोती…….बनायेंगे…. बनायेंगे।
हुये हैं राख परवाने….शमा की आग में जलकर-
दिवानें हैं तभी महफिल को अश्कों से सजायेंगे।
किसी की आँख में आँसू खुशी में भी छलकतें हैं ।
धरा मिलती गगन से है….. तभी बादल बरसतें हैं।
भँवर क्या चाहता है फूल से…. बस फूल ही जाने-
मिलन की आस जगती है तभी आँसू निकलतें हैं।
-ऋतुराज
मुजफ्फरपुर
बिहार