आँसू
आँसू
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ये आँसू ही तो हैं
जो, हाले बयां करते हैं,
दिल का…!
जरा सी ठेस क्या लगी
दिल को…..,
मचल उठते हैं आने को
साथ देने को,
ये आँसू ही तो हैं,
जो , आ जाते हैं
कभी भी वक्त -बेवक्त,
बस, आ ही जाते हैं साथ देने को,
मैंने…,मैंने..,
कितनी बार समझाया -उन्हें,
कि…..
जब मैं तन्हा रहा करूँ
तब तुम आया करो पास मेरे,
पर……
पर, ये तो वहां पर भी आ जाते हैं
जब मैं भीड़ में या महफ़िल में होता हूँ,
और, आकर आँखे नम कर जाते हैं,
और, कहते हैं कि तुम तो वहां भी तन्हा थे…….
इसलिए तो चला आया था साथ निभाने को,
क्योंकि, ये आँसू ही तो हैं
जो -सदा साथ निभाते हैं ||
शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली, पंजाब
©स्वरचित मौलिक रचना
15-02-2024