आँसू
आँसू आस हैं,
आँसू प्यास हैं,
आँसू एहसास हैं,
आँसू विश्वास हैं।
नैनों के झरोखे में
किसी की तलाश हैं।
निर्मल तुषार जैसे,
आँसू बहुत खास हैं।
बिछुड़न की याद हैं,
मूक फरियाद हैं।
मोती बन निकल पड़ते,
नयनों से इज़ाद हैं।
कभी जिरह हैं,
कभी गिरह हैं,
भीगी नज़रों में,
प्रेम की विरह हैं।
कोमल परिभाषा हैं
मन की अभिलाषा हैं,
हृदय से निकली,
झरती निराशा हैं।
न ये कमजोरी हैं,
न ही मजबूरी हैं।
चश्मा उतार देखो,
आँसू जरूरी हैं।
सतीश सृजन, लखनऊ.