*आँसू मिलते निशानी हैं*
आँसू मिलते निशानी हैं
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दो दिन की जिंदगानी है,
जीवन भर की कुर्बानी हैँ।
दुनियादारी समझ जाए,
गाथा बनती जुबानी हैँ।
दिल दरिया दर्मियां डूबा,
यादें दिल में सुहानी हैँ।
भड़के दिन-रात चिंगारी,
बातें होती नही पुरानी हैँ।
जी लो जी भर के जिंदगी,
पानी जैसी रवानी हैँ।
झूलो-झूमों बाँह फैलाये,
बीती जाती जवानी है।
उर ये पल में मचल जाए,
प्यासी नजरें दिवानी हैं।
बिछड़े दो यार रो-रो कर,
आँसू मिलते निशानी है।
मनसीरत बातें अधूरी सी,
वो बन जाती कहानी है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)