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18 Mar 2020 · 1 min read

आँसू देने वाला कोई पराया होगा

फूलों से जब दामन को उलझाया होगा
काँटों ने तब अपना रंग दिखाया होगा

मंज़िल पर जाकर के ही जो ठहरे होंगे
उनको चलना वक़्त ने ही सिखलाया होगा

यादों ने दिल की कुण्डी खटकायी होगी
जब भी उसने कोई दीप जलाया होगा

छाई आँखों में ये अजब उदासी क्यों
शायद अपने ख्वाबों को बिखराया होगा

धीरे-धीरे मैने उसे भुलाया है
धीरे-धीरे उसने भी बिसराया होगा

जिसने दे दी खुशियाँ वो अपना है ‘संजय’
आँसू देने वाला कोई पराया होगा

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