आँसू देने वाला कोई पराया होगा
फूलों से जब दामन को उलझाया होगा
काँटों ने तब अपना रंग दिखाया होगा
मंज़िल पर जाकर के ही जो ठहरे होंगे
उनको चलना वक़्त ने ही सिखलाया होगा
यादों ने दिल की कुण्डी खटकायी होगी
जब भी उसने कोई दीप जलाया होगा
छाई आँखों में ये अजब उदासी क्यों
शायद अपने ख्वाबों को बिखराया होगा
धीरे-धीरे मैने उसे भुलाया है
धीरे-धीरे उसने भी बिसराया होगा
जिसने दे दी खुशियाँ वो अपना है ‘संजय’
आँसू देने वाला कोई पराया होगा