आँसू की बूंदें
आँख से बहते ग़म के झरने
तन्हा जीवन में क्या कहने,
दर्द हथेली पे थाम लिया हुँ,
तेरी यादें सम्भाल रखा हुँ,
उस दिन जाने क्यू ?
कैसी घड़ी थी,
क़िस्मत में बर्बादी लिखी थी,
आज भी आँखें नम हैं मेरी,
दिल से मिटा न पाया यादें तेरी,
ग़म औ दर्द का जुड़ गया रिश्ता,
बन के आयी वो एक फ़रिश्ता,
अश्क़ गिरे मेरे आँखों से
भीग रहा हैं दामन तेरा,
दिल हैं जलता
मन ए दहकता
इश्क़ तो अब अंगार बना,
टूट चुके अरमान सभी
रुठ गयी ख़ुशियाँ सारी,
दिल ए तड़पता
तुझको पुकारे
लौट के आजा
जीवन में हमारे
प्राण पखेरू
उड़ जाये मेरा
साथ मैं पा जाऊँ तेरा