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23 Mar 2020 · 5 min read

आँसुओ की धार के बीच तिरंगे में लपेट गए 17 शहीद जवान को नमन

आंसुओं की धार के बीच तिरंगे में लपेटे गए 17 शहीद जवान, जनता ने किया सलाम

#पण्डितपीकेतिवारी
मैं सुकमा बोल रहा हूँ, वही सुकमा जिसकी हरियाली को लाल किया जा रहा है। थक चुका हूँ मैं हमेशा के इन घातो से, मेरा पुराना दर्द खत्म भी नहीं होता की मुझ पर नया वार किया जाता है।
मुझे पहले से ज़्यादा ज़ख़्मी किया जाता है। मेरी हरियाली लाल आतंक से रंगी जा रही है, और आप कभी अपने बयान बाज़ी से ऊपर कुछ करना ही नहीं चाहते, आपको अपनी कुर्सी बड़ी प्यारी है, सत्ता और स्वार्थ में मेरी हर बार बलि चढ़ाई जा रही है।
आप उन हमलों की निंदा करते है और वो जवाब में फिर एक नया हमला करते है, सत्ता के नशे और राजनीति से बाहर निकल कर मेरी भी एक सुध ले लीजिये।
और दर्द झेलने की ताकत नहीं है मुझमे, अगर ऐसा ही चलता रहा तो मेरी मिट्टी में केवल आतंक का लाल रंग मिलेगा प्रकृति की छाव नहीं ।
और कितने जवानों की शहीदी का इंतज़ार है आपको, और कितने बेगुनाहों का लहू बहना बाकि है, संवेदना से शायद आपके हृदय को शांति मिलती होगी मेरे ज़ख्मो को नहीं।
वक्त है अब कठोर कदम उठाने का जो वास्तव में प्रयास हो मेरी मिट्टी को उस लाल आतंक से मुक्त करने का जो मेरे ज़ख्मो का कारण है।
अब यही देखना बाकि है, आवाज़ आपकी मिट्टी की कब आप तक पहुँचेगी ।

सुकमा. छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सल हिंसा में शहीद जवानों को जिला मुख्यालय की पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि दी गई. शहीदों की श्रद्धांजलि सभा में उनके परिजन फूट फूट कर रोये. प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, मंत्री कवासी लखमा, केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार विजय कुमार समेत पुलिस व प्रशासन के आला अफसर और आम नागरिक भी वहां मौजूद थे. श्रद्धांजलि सभा से पहले शहीदों के शव को तिरंगे में लपेटा गया. सभा के बाद शवों को उनके गृहग्राम के लिए रवाना करने की कवायद की गई.
सुकमा में श्रद्धांजलि सभा के दौरान सीमए भूपेश बघेल ने कहा- ‘नक्सली और जवानों के बीच मुठभेड हुई. बहादुरी से जवान लड़े, मुझे उन पर गर्व है. लड़ते लड़ते अपनी आहुती दी. उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी. पूरे परिवार के साथ छत्तीसगढ़ सरकार खड़ी है. हर परिस्थिती में साथ देगी. मैं उन्हें श्रदांजलि देता हूं. ये जबतक समाप्त नहीं होता, लड़ाई जारी रहेगी. ये बात सही है, 17 जवान नहीं रहे. बड़ा नुकसान हमको हुआ है. नक्सलियों की जड़ उखाड़ कर रहेंगे. पैरामिलिट्री फोर्स मुकाबले में रहेगी. हमारी रणनीति कोई कमी नहीं है, कोई इंटेलीजेंस में चूक नहीं हुई है, सूचना मिली हमारे जवानो ने घेरा. अभी ये समय नही है बात करने का, जवानों ने बहादुरी से लडाई लड़ी है, उनको सलाम करता हूं.’
सीएम भूपेश का ट‌्वीट

“है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं”

नक्सली हिंसा में शहीद हुए वीर जवानों को सुकमा पुलिस लाईन पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की, शहीद जवानों के साथियों और परिजनों से मुलाकात की।
21 मार्च को हुई थी मुठभेड़
सुकमा के कसालपाड़ और मिनपा में सीआरपीएफ, एसटीएफ और डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व फोर्स) के करीब 550 जवान बीते 21 मार्च को सर्चिंग के लिए निकले थे. जवानों को नक्सलियों के छत्तीसगढ़ के सक्रिय टॉप लीडर हिड़मा, नागेश और अन्य द्वारा कैंप लगाने का इनपुट मिला था. जवान सर्चिंग से लौट रहे थे. इसी दौरान नक्सलियों ने एंबुश लगाकर जवानों को फंसा लिया था. जवानों और नक्सलियों के बीच करीब साढ़े 3 घंटे तक मुठभेड़ चली. इसके बाद जवान अलग-अलग समूह में कैंप वापस लौटे. इनमें से 17 जवान लापता थे. इनकी शहादत हुई है. इसके अलावा 15 जवान घायल हैं, जिनका इलाज रायपुर के रामकृष्ण केयर अस्पताल में चल रहा है. इनमें से 2 की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है.

परिजनकी आंख से नहीं थम रहे आंसू, आईजी ने शहीदों को दिया कंधा

शहीद जवानों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
शहीद जवानों के परिजनका रो-रोकर बुरा हाल है। जवानों की मां, कहीं उनकी पत्नी, बहन, बेटे और भाई को संभालना मुश्किल हो रहा था। एक साथ इतने शव एक साथ पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों को धैर्य जवाब दे गया। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। जवानों के शवों को सोमवार सुबह जिला मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन लाया गया। यहां पर उन्हें अंतिम सलामी दी गई। वहीं बस्तर आईजी पी. सुंदरराज समेत पुलिस के उच्चाधिकारियों ने शहीद जवानों को कंधा दिया।

ये जवान हुए शहीद
सुकमा मुठभेड़ के बाद राज्य सरकार द्वारा जारी सूची के मुताबिक डीआरजी के 12 और एसटीएफ के 5 जवान शहीद हुए हैं. डीआरजी के हेमन्त दास मानिकपुरी, गंधम रमेश, लिबरु राम बघेल, सोयम रमेश, उइके कमलेश, पोडियम मुत्ता, धुरवा उइका, वंजाम नागेश, मड़कम्म मासा, मड़कम्म हिड़मा, नितेंद्र बंजामी सुकमा के रहने वाले थे. जबकि पोडियम लखमा बीजापुर के निवासी थे. हमले में 17 जवानों में एसटीएफ के 5 जवान गीतराम राठिया, रायगढ़, नारद निषाद- बालोद, हेमंत पोया- कांकेर, अमरजीत खलको- जशपुर और मड़कम्म बुच्चा सुकमा के रहन वाले थे. श्रद्धांजलि सभा के बाद इनके शवों को गृहग्राम के लिए रवाना किया गया.

हाल के सालों में छत्तीसगढ़ में हुए कुछ बड़े नक्सली हमले

सुकमा मार्च 2017: घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने सीआरपीएफ के 12 जवानों को मार गिराया.

सुकमा 2014: छत्तीसगढ़ के ही सुकमा जिले में हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 14 जवानों की जान चली गई थी.

सुकमा 2013: सुकमा जिले में नक्सलियों के इस हमले में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मारे गए थे. इनमें महेंद्र कर्मा और नंद कुमार पटेल भी शामिल थे, जबकि विद्याचरण शुक्ला को गंभीर चोटें आयी थीं और बाद में उनका निधन हो गया था.

दंतेवाड़ा 2010: नक्सलियों का यह हमला सीआरपीएफ जवानों पर अब तक के सबसे बड़े हमलों में से एक था, जिसमें 76 जवानों की जानें चली गई थी.

रानीबोदली 2007: छत्तीसगढ़ के रानीबोदली गांव में एक पुलिस आउटपोस्ट पर 500 से ज्यादा नक्सलियों ने हमला बोलकर 55 पुलिसकर्मियों को मार गिराया था.

यही नहीं साल 2005 से लेकर अभी तक नक्सल हमलों में हमारे 1885 जवान शहीद हो चुके हैं, जबकि कश्मीर में 2004 से लेकर अभी तक मात्रा 1369 जवान ही शहीद हुए हैं. यानि जम्मू कश्मीर के आतंकवादियों से ज्यादा खतरा हमे नक्सलियों से ही है.

ऐसा नहीं कि नक्सलवादियों का सेना के जवानों पर यह पहला हमला है बल्कि इससे पहले भी कई हमले हो चुके हैं, लेकिन हमारी सरकारों के ढुलमुल रवैये के कारण इसपर अंकुश लगाने में कामयाबी हासिल नहीं हो पायी है. पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गांव से शुरू हुआ नक्सलवाद अब आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार में भी पैर पसार चुका है, हालांकि आंध्र प्रदेश में काफी हद तक इस पर अंकुश पा लिया गया है.

Language: Hindi
Tag: लेख
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